संवाददाता: साबिर अली
बेतिया नगर निगम के छावनी आमना मस्जिद के पास वार्ड नंबर 5 में मस्जिद के बगल की निगम की जमीन पर अवैध रूप से पक्का का निर्माण कर अतिक्रमण का कार्य मोहल्ले में तूल पकड़ता जा रहा है। जिसको लेकर वहाँ के स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, नगर आयुक्त, अंचलाधिकारी और थानाध्यक्ष कालीबाग ओपी को आवेदन देकर अतिक्रमण मुक्त करने व अवैध निर्माण पर रोक लगाने का आग्रह किया है।
आवेदन में उल्लेख करते हुए बताया गया है कि मस्जिद और सड़क के बीच कोई निजी जमीन किसी व्यक्ति की नहीं है। पहले झोपड़ी का कब्जा था और अब पक्का का निर्माण कर अतिक्रमण मो. रेयाज अहमद और महफूज आलम उर्फ मुन्ना के द्वारा किया जा रहा है।
आवेदन की जांच के पश्चात निगम के नगर आयुक्त शंभू कुमार के द्वारा 29 जुलाई को नोटिस संख्या 1764 के द्वारा अतिक्रमणकारियों को कार्य बंद कर तीन दिनो में अपना पक्ष रखने का निर्देश जारी किया गया और ऐसा नहीं करने पर कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी गई। जिसके अनुपालन के लिए स्थानीय कालीबाग ओपी को भी निर्देशित किया गया। परन्तु निगम प्रशासन और थाना पुलिस के पश्चात भी अतिक्रमण का कार्य नहीं रूका और वो होता रहा। अपने ही दिए आदेश का मजाक बना कर निगम के अधिकारी मुकदर्शक बन गए।
वहीं जब निर्माण कराने वाले ने अपना पक्ष रखा तब उसमें यह जानकारी आई कि वे अपना होल्डिंग टैक्स निगम को देते रहे हैं और 60 साल लगभग से भी ज्यादा समय से उस जमीन पर अपने पूर्वजों के समय से रहते आए हैं। और उन्होंने सड़क व नालों से हटकर अपना निर्माण नगर निगम की ही जमीन पर करा रहे हैं। इसलिए नगर आयुक्त ने उनकी बातों के आधार पर निर्माण करने का आदेश दे दिया है। वहीं चांद तारा खातुन ने यहाँ तक कहा कि हमलोग को नगर आयुक्त ने लिखित आदेश दिया है निर्माण कराने का। जिसकी प्रतिलिपि कैमरे पर दिखाने से मना भी कर दिया।
हालांकि इस निर्माण को लेकर मोहल्ले के लोग दो दल में पक्ष और विपक्ष में बंट गए हैं। जिससे किसी प्रकार के तनाव से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
वहीं नगर आयुक्त शंभू कुमार ने कहा कि स्थानीय आवेदनों के आधार पर कार्य कराने वालों को कार्य रोकने व जवाब देने का नोटिस दिया गया है। उन्होंने अपना जवाब दिया है जिसकी जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। वहीं महिला चांद तारा के कही बात के संबंध में बताया कि हमारे द्वारा कोई लिखित आदेश निर्माण कराने हेतु नहीं दिया गया है। वहाँ और भी अतिक्रमण है और हटाना होगा तो सिर्फ उसी का नहीं सभी का हटाया जाएगा। यदि आदेश के बाद भी कार्य हो रहा है तो वो थाना की जिम्मेदारी है रोक लगाना। प्रथम दृष्टया नाला व सड़क पर निर्माण नहीं कराए जाने की बात सामने आई है। ऐसे में पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कोई निर्णय और निर्देश दिया जा सकता है।
हालांकि कहीं ना कहीं नगर निगम के आयुक्त के लिखित रोक के आदेश के बावजूद जिस भी मौखिक आदेश के बदौलत कार्य हो रहा हो वो सवालों के घेरे में है। ऐसे में जब लिखित आदेश को प्रभावी नहीं कराना था तो फिर आदेश निर्गत क्यों किया गया? वहीं जब निगम वाकई ऐसी छोटी बड़ी अतिक्रमण को रोकने में सक्षम नहीं है तो आने वाले समय में ऐसी कई अतिक्रमण स्थल आएंगे जहाँ उन्हें ऐड़ी चोटी एक करनी पड़ सकती है। साथ ही पूर्व के अतिक्रमण को देखकर नए अतिक्रमण को नहीं रोकना आगे के लिए सभी अतिक्रमणकारियों को एक प्रबल हिम्मत देने की भूल नगर निगम के द्वारा किया जा रहा है। जिसका खामियाजा उन्हें हर एक जगह पर उठाना पड़ सकता है और उसका दुष्परिणाम नालों व सड़कों की सफाई और निकासी को प्रभावित करेगा।