इसमें पहले तीन दिन स्कूलों में बूथ लगाकर दवा खिलाई जाएगी। उसके बाद 14 दिन घर-घर जाकर आशा व स्वास्थ्य कर्मी अपने सामने दवा का सेवन कराएंगे। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवा खुद खाने और अपने परिवारजनों को सेवन करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों जनप्रतिनिधि, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, पार्टनर एजेंसी, जीविका, सहित अन्य विभागों के द्वारा जागरूकता फैलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में 72 लाख 95 हजार 443 लोग हैं जिनमें 60 लाख 1 हजार 127 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। सभी 27 प्रखंडों के 2 हजार 4 सौ 95 गाँव में कुल 2 हजार 9 सौ 56 दलों द्वारा दवा खिलाई जाएगी। इसमें आशा, वोलेंटियर 5 हजार 912, सुपरवाइजर 294 लगाई जाएगी। वहीं जिला स्तर पर निगरानी की जाएगी।
पिरामल के जिला प्रतिनिधि मुकेश कुमार ने कहा कि जिले में नाईट ब्लड सर्वे के दौरान 303 फाइलेरिया मिले हैं। फाइलेरिया में सिर्फ हाईड्रोसील का इलाज होता है। हाथीपाँव का इलाज नहीं होता है। इसलिए लोगों को कम से कम लगातार 5 वर्ष तक दवा सेवन करना चाहिए। 2 से 5 वर्ष के बच्चों को 1 टैबलेट अल्बेंडाजोल और 1 टैबलेट डीईसी, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को 1 टैबलेट अल्बेंडाजोल और 2 टैबलेट्स डीईसी और 15 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को 1 टैबलेट अल्बेंडाजोल और 3 टैबलेट डीईसी की दवा खिलाई जाएगी। यह कार्यक्रम 17 दिनों तक चलेगा। डीभीडीसीओ डॉ शर्मा ने कहा कि दवा सेवन के उपरांत कुछ लोगों में उल्टी, सर दर्द, जी मिचलाना जैसी शिकायतें हो सकती हैं जो स्वतः घंटे-दो घंटे में समाप्त हो जाती हैं। दवा सेवन के बाद किसी भी प्रकार के साइड इफ़ेक्ट होने पर लोगों की सुरक्षा हेतु जिला एवं प्रखंड स्तर पर रैपिड रेस्पोंस टीम का गठन भी किया गया है। इस मौके पर सीएस रविशंकर श्रीवास्तव, डीभीडीसीओ डॉ शरत चंद्र शर्मा, डॉ अमृतांशु, डॉ मुकेश कुमार, डॉ सुरुचि, आरबीएस के डीसी डॉ शशि मिश्रा, यूनिसेफ़ जिला प्रतिनिधि धर्मेंद्र कुमार, पिरामल से मुकेश कुमार, सिफार के सिद्धांत कुमार, बिनोद श्रीवास्तव, भीडीसीओ सत्यनारायण उरांव, धर्मेंद्र कुमार, रविंद्र कुमार, प्रेमलता कुमारी, चंद्र भानु सिंह उपस्थित थे।