-1.5 माह से 60 माह तक के बच्चे को किया जाता है भर्ती
एनआरसी के नोडल डॉ मनीष कुमार ने बताया कि आरबीएसके के डॉक्टर द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों या स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज हेतु आने वाले बच्चों एवं आशा के द्वारा घर जाकर कमजोर, कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है। उन्हें सुपोषित करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है। ऐसे बच्चों की पहचान के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। इनमें आईसीडीएस से भी सहयोग लिया जाता है। विभाग इन बच्चों को इलाज के साथ-साथ बेहतर पौष्टिक आहार देता है। कुपोषित बच्चों को एनआरसी में रखकर इलाज व उनके लिए स्पेशल डाइट तैयार की जाती है। जिसमें सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन दिए जाते हैं। बच्चे मुख्यतः शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में रहते हैं। प्रबंधक कौशल दुबे ने बताया कि अब तक रक्सौल, सुगौली, मधुबनी घाट, पिपराकोठी, चकिया, कोटवा के बच्चों को चिन्हित किया गया है।
- आरोही क़ो मिला एनआरसी का सहारा
क्लीफ़्ट पैलेट की बच्ची आरोही कुमारी, खैरी जमुनिआ, प्रखंड चकिया की थीं। वह 30 मई क़ो भर्ती हुई। तब उसका वजन 3.500 ग्राम था। 19 जून क़ो ईलाज के बाद उसका वजन 4.340 ग्राम हुआ। इसके पिता क़ो संतुलित आहार देने की बातें बताई गई। इस मौके पर इंचार्ज प्रवीण कुमार, फीडिंग डिमांस्ट्रेटर ज्योति कुमारी, स्टाफ नर्स प्रशांत पचौरी, हेमराज नागर, महेंद्र कुमार, मनप्रीत सिंह सिद्धू, गजानंद शर्मा व अन्य लोग उपस्थित थे।