पगडंडियों से होता है आना-जाना
डुमरांव प्रखंड के भोजपुर कदीम पंचायत से जुड़ा मुंशीडेरा गांव डुमरांव शहर के करीब है। दुर्भाग्य यह है कि शहर के करीब होने के बाद भी गांव सड़क से नहीं जुड़ पाया था। महरौरा मंदिर से ग्रामीणों को पगडंडियों से होकर गांव तक पहुंचना पड़ता था। सबसे अधिक परेशानी प्रसव वेदना से तड़पती महिला और बीमार लोगों को अस्पताल तक लाने में परिवार के लोगों को मशक्कत करनी पड़ती है।
शहर से लेकर गांवों में सड़क का जाल बिछता गया। लेकिन विकास से मुंशीडेरा उपेक्षित रहा। हताश हो चुके गांव के लोगों ने सड़क का सपना देखना भी छोड़ दिया था। लेकिन 74 साल बाद जब शुक्रवार को 1 करोड़ 40 लाख की लागत से सड़क निर्माण की निविदा आई तो लोग खुशी से झूम उठे। महरौरा रोड़ से मुंशीडेरा के 1.840 किमी लंबी सड़क का निर्माण होना है।
विधानसभा में उठाया था मामला
विधानसभा चुनाव के दौरान मुंशीडेरा के ग्रामीणों ने भाकपा माले विधायक प्रत्याशी अजीत सिंह कुशवाहा के समक्ष ग्रामीणों सड़क की मांग रखी थी। ग्रामीणों का कहना है कि कई चुनाव में वोट देने के बाद भी गांव सड़क से नहीं जुड़ सका था। विधानसभा सत्र के दौरान विधायक ने प्रश्न संख्या 2275 के माध्यम से निर्माण का मुद्दा उठाया था। इसके जवाब में निविदा आमंत्रित कर सड़क निर्माण पूर्ण करने की बात कही गयी थी।
विधायक ने कहा कि विचारणीय बिंदु यह है कि मुंशीडेरा के महज 1.840 किमी लंबी सड़क को जोड़ने में 74 साल लग गये जबकि वर्तमान नीतीश सरकार को भी शासन में आये पंद्रह वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है। इससे साबित होता है कि प्रदेश कि सरकार विकास को लेकर गंभीर नहीं है। क्षेत्र के कई गांव आज भी सड़क से वंचित हैं और सरकार लगातार इसे नजरअंदाज कर रही है।