संवाददाता: साबिर अली
मिथिला पेंटिंग सीखी ग्रामीण छ्त्राए विश्व प्रसिद्ध मधुबनी चित्रकारी पेंटिग कलाकारों के लिए एक वरदान साबित हुआ। इसकी बनी पेंटिग को देख कर काफ़ी लोग आकर्षित होते जा रहे है ग्रामीण इलाकों के न्यूनतम आमदनी वाले परिवार को ऐसा ही कला साधकों को साधने के लिए गांधी स्मारक संग्रहालय भितिहरवा में 10 दिवसीय मधुबनी पेंटिग का प्रशिक्षण कार्य शुरु किया गया था ।
उक्त बातें गांधी आश्रम के प्रभारी डॉ शिव कुमार मिश्र द्वारा इस कार्यशाला का उद्घघाटन किया गया था
वरीय तकनीकि सहायक राजेश कुमार बताया है की स्कूल की बच्चियों प्रशिक्षण लेने के बाद उन्हें काफ़ी कुछ सीखने को मिला।
आश्रम के प्रांगण के दीवारों पर जो भी मधुबनी पेंटिग बनाई गई उसका मुख्य उद्देश्य था की अंग्रजों के द्वारा चंपारण के किसानों पर किस प्रकार अत्यचार किया जाता था कुटिया को किस तरहा जलाया गया , मां कस्तूवा ने किस प्रकार गांव के लोगो के साथ मिल कर फिर अपने सर पर ईट ठोकर मिट्टी से द्वारा फिर आश्रम का निर्माण किया, गांधी जी द्वारा बताए गए सर सफाई का किस प्रकार ध्यान दिया जाए , ताकि लोग बीमार न पड़े यहां मूल्य तथ्यों को चित्रकारी मध्यम से दर्शाया गया ।
काफी प्रतिभाशाली बच्चियां थी जो पूरी लगन से मधुबनी पेंटिंग सीखी
और उम्मीद जताई की इसी प्रकार आश्रम में आयोजन होता रहे और प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता रहें
प्रशिक्षण देने का कार्य मधुबनी से आए चित्रकार चंद्रकांत बारी और सज्जन कुमार साह, द्वारा कस्तुरवा कन्या माध्यमिक विद्यालय भितिहरवा के बच्चियों को बड़ी बारिखी से मधुबनी पेंटिंग बनाने के लिए सिखाया गया ।
सम्मलीत बच्चियां जो थी उनके नाम
रिया कुमारी , खुशबू कुमारी, पल्लवी खातून, काजल कुमारी, गुड़िया कुमारी रोमी कुमारी , आरती कुमारी आदि ।