चंपारण सत्याग्रह की ऐतिहासिक तिथि 18 अप्रैल 1917 की स्मृति में आज गांधी स्मारक में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर गांधी जी के बयान को याद किया गया, SDO कोर्ट में 144 के जवाब में गांधी जी ने कहा था कि "किसानों की समस्या को समझे बिना मैं चंपारण नहीं छोड़ सकता हूँ। चाहे प्रशासन मुझे जितनी बार जेल भेजे, मैं वापस आकर वही काम करूंगा, जिसे करने मैं आया हूँ।" इस मौके पर विचार व्यक्त करते हुए राय सुंदर देव शर्मा ने कहा कि "गांधी जी का बयान न केवल चंपारण के लिए, बल्कि पूरे राष्ट्रीय आंदोलन के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हुआ। उन्होंने कहा कि चंपारण सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दिशा तय करने में मील का पत्थर साबित हुआ।" कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिवक्ता विनय सिंह ने कहा कि "आज की युवा पीढ़ी को गांधी जी के विचारों से जुड़ने की आवश्यकता है। 18 अप्रैल 1917 को चंपारण की भूमि पर दिया गया गांधी जी का यह बयान हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।" इस अवसर पर गांधी स्मारक के सदस्यों द्वारा स्मृति स्तम्भ पर पुष्प अर्पित कर गांधी जी एवं चंपारण के स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम का संयोजन कौशल किशोर सिंह एवं कार्यक्रम को सफल बनाने में आकर्ष कुमार तिवारी एवं राज गुरु ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई अवसर विशेष पर विचार व्यक्त करते हुए अनवर आलम, अमिता निधि, सामाजिक कार्यकर्ता विनय कुमार ने कहा कि गांधी जी के विचारों को आज के परिवेश में युवा पीढ़ी के बीच परोसने की आवश्यकता है। मौके परसामाजिक शोध संस्था के प्रबंधक अमर, ई० कृष्णकांत राज, केशव कृष्णा, पिंजय कुमार, सुनील भूषण, बसंत कुमार राय, संजय सत्यार्थी,के साथ दर्जन युवा उपस्थित होकर गांधी जी के विचारों को गंभीरता से सुना एवं उनके विचारों को आत्मसाथ करने का संकल्प लिया।
18 अप्रैल 1917 के ऐतिहासिक बयान की स्मृति में गांधी स्मारक पर हुआ आयोजन// THE ROYAL NEWS
शुक्रवार, अप्रैल 18, 2025
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