मोतिहारी:- शैक्षिक सत्र 2025-26 के उद्घाटन के अवसर पर विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा को आत्मसात करते हुए सर्वांगीण शिक्षा के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को फिर से पुष्ट किया। इस शुभ अवसर पर गांधी भवन, बनकट में रुद्राभिषेक का आयोजन अत्यंत श्रद्धा एवं उल्लास के साथ संपन्न हुआ, जिसमें माननीय कुलपति महोदय की गरिमामयी उपस्थिति ने समारोह को और अधिक दिव्यता प्रदान की।भगवान शिव के इस रुद्राभिषेक में उपस्थित सभी शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने ज्ञान, विवेक और धैर्य की प्राप्ति के लिए सामूहिक प्रार्थना की। कुलपति ने इस अवसर पर कहा,"भगवान शिव केवल संहार के देव नहीं हैं, वे पुनर्निर्माण और ज्ञान के अधिष्ठाता हैं। आज का यह रुद्राभिषेक हम सबके लिए आत्मिक जागरण और आंतरिक प्रबोधन का एक महत्वपूर्ण अवसर है। शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि यह आत्मा, संस्कार और चरित्र के समन्वय से ही पूर्ण होती है। भारतीय ज्ञान परंपरा हमें यही सिखाती है।"उन्होंने आगे कहा,"इस नवीन शैक्षणिक यात्रा का यह प्रारंभ हमें स्मरण कराता है कि हम केवल विद्यार्थी नहीं, ज्ञान के साधक हैं। हमें चाहिए कि हम आचरण, अध्ययन और आत्मचिंतन से अपने भीतर के प्रकाश को जागृत करें। यह विश्वविद्यालय अब एक ऐसी दिशा में अग्रसर है, जहाँ आधुनिकता और परंपरा का समन्वय होगा।"इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार के अनेक गणमान्य सदस्य उपस्थित थे, जिनमें प्रो. प्रसून दत्त, प्रो. सुनील महावर, प्रो. शिरीष मिश्रा, प्रो. प्राणवीर, प्रो. शहाना मजुमदार, प्रो. आनंद प्रकाश, प्रशासनिक पदाधिकारी सच्चिदानंद सिंह (ओएसडी), अनेक संकाय सदस्य एवं प्रशासनिक कर्मचारीगण शामिल रहे।पूरे वातावरण में मंत्रोच्चार, आस्था और पवित्रता की अनुभूति थी। रुद्राभिषेक के माध्यम से यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान न होकर शिक्षा की उस यात्रा का नवप्रवेश था, जो विद्यार्थियों को ज्ञान, आत्मबल और नैतिकता की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करेगा।